janpath
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अब तो है आप पर—
अब तो है आप पर कि हाथ मिलाकर चलिए,
या जमींदोज़ हैं जो उनको जिलाकर चलिए ।
लोग बैठे हैं सियासत की बिसातें लेकर,
सुर में सुर आप न अब उनके मिलाकर चलिए ।
साथ रहना है हमें मुल्क है हम दोनों का,
एक परिवार में क्यूं शिकवा-गिला कर चलिए ।
याद रखने को बहुत सारी हसीं यादें हैं,
बुरे जो ख्वाब थे अब उनको भुलाकर चलिए ।
गुजर गया है जमाना न साथ बैठे हैं,
पीजिए हमसे भी और खुद भी पिलाकर चलिए ।
– ओमप्रकाश तिवारी
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